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(क्या ऐसे होते हैं-?)

दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
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(क्या ऐसे होते हैं-?)
क्या बाबा ऐसे होते हैं
जो लोगों को उकसाते हैं
मधुर बाणी से फँसाते हैं
और करोडो अरबों कमाते हैं
लोग तो भोले भाले हैं
बस झांसे में आ जाते हैं
तन मन धन जब लुट जाता
तब कहीं होश में आते हैं
धोखा देते जनता को यह
नित नए स्वाँग रचाते हैं
कोई भीमानंद कोई योगानंद
कोई निर्मल बाबा बन जाते हैं
गाड़ियाँ,बँगले,कारें देखो
इस कुदरत के नज़ारे देखो
भगवा चोला तिलक सिंधूरी
यह झूठे राम भक्त प्यारे देखो
वाह रे मेरे भारतबासी
दूर न होगी तेरी उदासी
लुटेरों के भी पांव तू छूता
तेरी अक्ल पे आवे हाँसी
दीपक ‘कुल्लुवी’

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