दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
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गीतकाहे भर लीहमका छोड़ के काहे भर ली इतनी लम्बी उडारीसूनी हो गई हमारी मांग की रंगीली फुलवारीयाद में तोहरी कैसे कटेंगे सूने दिन सूनी रतियाकिससे बाँटेंगे सुख दुःख हमकिससे करेंगे बतियातुमरा साथ जो छूटा सजनवाआस भी छूटी सारीहमका छोड़ के काहे भर लीइतनी लम्बी उडारीसूनी हो गई हमारी मांग की--------------हमका भी अब पास बुलाईलेदर्द सहा ना जाएग़म का भंवर है सामने मेरेहमसे सहा ना जाएकैसे उठाएं दिल के टुकड़ेग़म से हुए अति भारीहमका छोड़ के काहे भर लीइतनी लम्बी उडारीसूनी हो गई हमारी मांग की--------------
दीपक शर्मा कुल्लुवी
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