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फ्री का चन्दन

दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
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फ्री का चन्दन
फ्री का चंदन धिस वे नंदन
भूखा नंगा रह तू हर दम
जो मिल जाये मांग ले उस से
मांग के खाने में कैसी शर्म
दुनियांदारी की कर न फिकर तू
तानाकशी से बिलकुल न डर तू
मांगना सबसे कठिन कार्य है
बेशर्म बन जा कर न ग़म
संतों सी है तेरी फकीरी
क्या औकात है तेरी मेरी
भोला भला तेरा मन
मांग के खाना तेरा फन
दीपक कुल्लुवी
२१/०७/१२.
फ्री का चन्दन
फ्री का चंदन धिस वे नंदन
भूखा नंगा रह तू हर दम
जो मिल जाये मांग ले उस से
मांग के खाने में कैसी शर्म
दुनियांदारी की कर न फिकर तू
तानाकशी से बिलकुल न डर तू
मांगना सबसे कठिन कार्य है
बेशर्म बन जा कर न ग़म
संतों सी है तेरी फकीरी
क्या औकात है तेरी मेरी
भोला भला तेरा मन
मांग के खाना तेरा फन
दीपक कुल्लुवी
२१/०७/१२.

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