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सब कुछ छूटा जाए

दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
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सब कुछ छूटा जाए

मोहे मिला था सब कुछ लेकिन सब कुछ छूटा जाए

याद तिहारी भूल न पाएँ-2 याद बहुत आए
मोहे मिला  था सब  ……….
(1) ‘दीपक’थे जले दीप से हर पल सबनें ही तो जलाया
नीर बहे न आँखों से पर,अपनों नें तो रुलाया
इस दुनियाँ की रीत निराली,समझ नहीं पाए
याद बहुत आए………
मोहे मिला  था सब ……….
(2) नादाँ थे हम नादाँ है और अब का समझेंगे
किससे करेंगे शिकवा गिला हम किससे प्यार करेंगे
नफरत न लागे डर दिल प्यार से डर जाए
याद बहुत आए……………..
सब कुछ छूटा जाए…………….


दीपक ‘कुल्लुवी’
१७-०८-१२.

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