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बेवफा ही रहो

दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
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बेवफा ही रहो


बेवफा थे बेवफा हो बेवफा ही रहो

यह मुहब्बत नहीं बस की यूँ न इज़हार करो

बेवफा थे बेवफा हो बेवफा………..

यह वोह जज़्वा है जो आशिक़ को अमर करता है

वोह तो हँसते हुए सब कुछ ही फनां करता है

जो उम्र भर किया तुमनें हर बार करो

बेवफा थे बेवफा हो बेवफा………..

दीपक ‘कुल्लुवी’ को मुहब्बत यहाँ कोई कम न मिली

बेशक काँटों की कली दिल में बार बार खिली

गम की इस दिल में जगह ख़ाली है कुछ और भरो

बेवफा थे बेवफा हो बेवफा………..
दीपक कुल्लुवी
29 अगस्त 2012
9350078399

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