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जीने का हुनर

दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
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जीने का हुनर

हम  मुहब्बत के पुजारी हैं इश्क करते हैं

ग़म के सहरा पे चलनें का  दम भरते  है
दर्द का रिश्ता तो इस दिल पुराना है दोस्त
हम तो तन्हाई में जीने का हुनर रखते हैं

दीपक ‘कुल्लुवी’
31 अगस्त 2012
جینے کا ہنر
ہم محبّت کے پجاری ہیں عشق کرتے ہیں
گم کے سہرا پی چلنیں کا دم بھرتے ہیں
درد کا رشتہ تو اس دل سے پرانا ہے دوست
ہم تو تنہائی میں جینے کا ہنر رکھتے ہیں

دیپک کلّوی

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