***(टूटा सा ख्वाव हूँ)*** दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से................. मेरे गम से न रख रिश्ता मगर अपना मुझे दे दे, अपने दर्द के लम्हे हमारे नाम तू कर दे ,हम इतने भी नहीं बुजदिल जो डर जाएँगे इतने में, न हो हमपे यकीं ऐ-दोस्त तो मेरी जान भी ले ले गीत
टूटा सा ख्वाव हूँ
पूछो न कोई मुझसे क्यों पीता शराब हूँ-2
अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-2
–पूछो न कोई मुझसे क्यों पी———-
(1) ‘दीपक’ था नाम जलना था,जलते रहे ऐ-दिल-2
बुझने से पहले बेवफा इक बार आके मिल-2
देती है ताहने दुनियाँ क्या सचमुच ख़राब हूँ
अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२
–पूछो न कोई मुझसे क्यों पी———-
(2) दो घूँट पी लिए अगर यहाँ किसका क्या गया -2
अपनें,बेगाने सबके ही दिल से निकल गया -2
ग़म के खज़ाने कम नहीं,नाकामयाब हूँ
अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२
–पूछो न कोई मुझसे क्यों पी———-
(3 ) मेरी जिंदगी में हादसों का ऐसा हुआ असर-2
कल तक जो मेरे साथ था आया न वोह नज़र -2
मुझको लगा था दोस्तों मैं लाजवाब हूँ
अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-2
–पूछो न कोई मुझसे क्यों पी———-
दीपक शर्मा ‘कुल्लुवी’
01 -09 -12 .
09350078399
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