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बेवजह

दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
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बेवजह

ताउम्र हम तेरी यादों में तड़पे

नज़रों से अपने तो आंसू भी बरसे
मगर तुमको हरगिज़ न आया तरस
पागल थे हम बेवजह ही जो तरसे


दीपक कुल्लुवी
بوجہ

تومر ہم تیری یادوں میں تدپے
نظروں سے اپنے تو آنسو بھی برسے
مگر تمکو ہرگز نہ آیا ترس
پاگل تھے ہم بوجہ ہی جو ترسے

دیپک کلّوی
٠١/٠٩/١٢.

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