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चालाक खुदा

दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
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चालाक खुदा

खुदा बहुत ही चालाक है

अपनें सर कुछ नहीं लेता
इंसान खुद मौत की मांगे दुआ
इतना बेबस कर देता
जवानी में जीने की चाह
मांगता खुदा से यह इंसान
बुढ़ापे में बस मौत ही मांगे
बन जाता दाता का काम
चक्रव्यूह सा यह कालचक्र है
बार बार फँसता इंसान
भगवान नचाता कठपुतली सा
नाचता रहता है इंसान
नाचता रहता…………
दीपक ‘कुल्लुवी’
27 सितम्बर 2012 .
9350078399

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