झाँको दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से................. मेरे गम से न रख रिश्ता मगर अपना मुझे दे दे, अपने दर्द के लम्हे हमारे नाम तू कर दे ,हम इतने भी नहीं बुजदिल जो डर जाएँगे इतने में, न हो हमपे यकीं ऐ-दोस्त तो मेरी जान भी ले ले झाँको
कल फिर से जलेगा रावण
मन शांत और दिन पावन
रौनक छाई चेहरों पे ऐसे
पतझड़ में जैसे आया सावन
रावण को जलाने से पहले
अपनें भीतर भी झांको
उसके कर्मों से प्यारे
अपनें कुकर्म भी आँको
उन्नीस बीस का फर्क दिखेगा
उसके ज्यादा कुछ न मिलेगा
रावण तो था शूरवीर
पंडित था महाज्ञानी था
सीता जी का हरण किया
इसीलिए वह पापी था
उसी पाप की सजा बेचारा
आज तक वह भुगत रहा है
जिस पाप ने उसकी कीर्ति मिटा दी
उसी की आग में जल रहा है
क्या उसनें कभी रिश्वत ली ?
क्या दूध में मिलावट की ?
क्या बलात्कार किया किसी अबला का ?
क्या भ्रूण हत्या कभी की ?
क्या दहेज़ की खातिर बहू जलाई ?
क्या कभी उसने घूस खाई ?
क्या कभी किया कोई घोटाला ?
क्या अश्लील सी० डी० बनवाई
यह वोह सारे पाप हैं जो
हम सब मिलकर करते हैं
फिर भी शर्मसार होते नहीं
और सर उठाकर चलते हैं
दीपक शर्मा कुल्लुवी
9350078399
23 -10 -12 .
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