आम आदमी पार्टी दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से................. मेरे गम से न रख रिश्ता मगर अपना मुझे दे दे, अपने दर्द के लम्हे हमारे नाम तू कर दे ,हम इतने भी नहीं बुजदिल जो डर जाएँगे इतने में, न हो हमपे यकीं ऐ-दोस्त तो मेरी जान भी ले ले आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी
आज तक हम खास थे अब आम हो गए
सब पार्टियों को छोड़ ‘आम’ के साथ हो गए
सबको परख चुके अब इनको भी परखेंगे
ख्वावों की वंदिशों से हम आज़ाद हो गए
कांग्रेस परखी,भाजपा परखी परखी सपा,बासपा
आम आदमी पार्टी भी परख लें पूर्ण होगी परिक्रमा
या तो लुटिया डूबेगी या तर जाएँगे सारे
हमारे खज़ाने से क्या जाएगा अगर गए वो हारे
जीत गए गर आम आदमी तो हो जाएँगे ख़ास
यूँ भी त्रस्त है सारी जनता पहले से ही निराश
सबने अपने भरे खज़ाने किसी को कुछ न मिला
गरीब और ग़रीब होते गए अब किससे करें गिला
आम आदमी की लहर उठ चली कुछ तो होगा ज़रूर
किला टूटेगा भ्रष्टाचार का भ्रष्टाचारियों का गरूर
दुम दवाकर भागेंगे निठल्ले और रिश्वत खोर
दम है मेरी बातों में करना ज़रा सा गौर
दीपक शर्मा कुल्लुवी
27-11-12.
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