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दफन कर जाएँ

दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
दीपक 'कुल्लुवी' की कलम से.................
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दफन कर जाएँ
सब अपनों के होते हुए हम तन्हा रह गए
बेहतर है अब हम भी सबको तन्हा कर जाएँ
हमनें सबको दिल में बसाकर रखा था,रखा है
लेकिन अब चाहते हैं सबके दिल से निकल जाएँ
बेशक  नाम है ‘दीपक’ क्या जलना ही ज़रूरी है
कब तक जलते रहेंगे यारो अब तो बुझ जाएँ
अच्छा ही हुआ सब भूलने लगे जाने का ग़म न होगा
सबकी नज़रों से बचाते बचाते गुमनाम गुज़र जाएँ
मैं नहीं चाहता याद करे कोई मुझको,मेरी यादों को
यादों के खजाने कब्रिस्तां में खुद ही दफन कर जाएँ
दीपक कुल्लुवी
7 दिसंबर 2012.
दफन कर जाएँ
सब अपनों के होते हुए हम तन्हा रह गए
बेहतर है अब हम भी सबको तन्हा कर जाएँ
हमनें सबको दिल में बसाकर रखा था,रखा है
लेकिन अब चाहते हैं सबके दिल से निकल जाएँ
बेशक  नाम है ‘दीपक’ क्या जलना ही ज़रूरी है
कब तक जलते रहेंगे यारो अब तो बुझ जाएँ
अच्छा ही हुआ सब भूलने लगे जाने का ग़म न होगा
सबकी नज़रों से बचते बचाते गुमनाम गुज़र जाएँ
मैं नहीं चाहता याद करे कोई मुझको,मेरी यादों को
यादों के खजाने कब्रिस्तां में खुद ही दफन कर जाएँ
दीपक कुल्लुवी
7 दिसंबर 2012.

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